श्री जगन्नाथ मंदिर श्रेष्ठ हिंदू मंदिरों में से एक है। जो भगवान जगन्नाथ (कृष्ण) को समर्पित है। जगन्नाथ दो शब्दो से मिलकर बना है जग और नाथ। जग यानी जगत और नाथ यानी स्वामी अर्थात जगत के स्वामी। यह मंदिर चार धामों में से एक माना जाता है और यह भव्य मंदिर उड़ीसा राज्य के पूरी शहर में स्थित है। और इस मंदिर में श्री कृष्ण अपने भाई बलराम और बहिन सुभद्रा के साथ बिराजते है।
जगन्नाथ मंदिर की कुछ विशेषताएं और कुछ चमत्कार सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।
चलिए शुरू करते हैं।
जगन्नाथ पूरी मंदिर |
जगन्नाथ पूरी मंदिर से जुड़े अविश्वनीय रहस्य || Mysteries Facts about jagannath Puri in hindi 2021
1. जगन्नाथ मंदिर के उपर स्थापित लाल ध्वज हमेशा दिशा के विपरित में ही लहराता है। ऐसा क्यू होता है किसी को पता नही लेकिन यह एक आश्चर्यचकित करने वाले वाला ररहस्य है।
2. इसके अलावा यह हैरानी की बात है कि प्रतिदिन शाम के समय मंदिर के ऊपर स्थापित उस ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है। मंदिर का यह ध्वज इतना भव्य है कि जब यह लहराता है तो इसे लोग देखते ही रह जाते हैं। और इस ध्वज पर शिव का चंद्र भी बना हुआ है।
3. जगन्नाथ मंदिर दुनिया का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट क्षेत्र में फैला हुआ है। और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। और मंदिर के पास खड़े रहकर इस मंदिर का गुंबद देख पाना असंभव है। परंतु आश्चर्य की बात यह है कि जगन्नाथ मंदिर के मुख्य गुंबद की परछाई दिन के किसी भी समय दिखाई नहीं देती। चाहे कितनी भी धूप हो या ना हो।
4. जगन्नाथ मंदिर के शहर पूरी में किसी भी स्थान पर खड़े रहकर आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र देख पाएंगे। और यह सदैव आपको अपने सामने ही लगा दिखेगा। जगन्नाथ मंदिर में लगे इस चकरा को नीलचक्र भी कहते है। यह अष्टधातु से निर्मित है और इसे अति पावन और पवित्र माना जाता है।
5. सामान्यत पूरी दुनिया में समुंद्रो और नदियों के पास हवा समुंद्र से जमीन की ओर बहती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर शहर पूरी में इसका उल्टा है यहां हवा जमीन से समुंद्र की ओर बहती है। जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं है।
6. आपने कई बार देखा होगा कि सामान्यत सभी मंदिरों के गुबंद पर पक्षी बैठते और रहते है मगर जगन्नाथ मंदिर के ऊपर बने गुबंद के आस पास अब तक कोई भी पक्षी उड़ता हुआ नही दिखा। और इस मंदिर के ऊपर से विमान नहीं उड़ाया जा सकता है। इस मंदिर की यह विशेषता भी किसी रहस्य से कम नहीं है। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं।
7.जगन्नाथ मंदिर पूरी में सबसे बड़ा रसोई घर बनाया गया है जहां भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद 500 रसोइए 300 सहयोगी एक साथ मिलकर बनाते हैं। इस मंदिर में लगभग 20 लाख भक्त भोजन करते हैं। और कहा जाता है कि इस जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद कुछ हजार लोगों के लिए ही क्यों न बनाया गया हो मगर इससे लाखों लोगों का पेट भर सकता है।
8. जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार में पहला कदम प्रवेश रखने के बाद (मंदिर के अंदर से) आप सागर से निकली पानी की किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। और जब आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार कर लेते है तब आप फिर से इसे सुन पाएंगे। इसे आप शाम के समय स्पष्ट रूप से अनुभव कर सकते है।
9. जगन्नाथ मंदिर के बाहर स्वर्ग द्वार है, जहां पर इंसानों के मोक्ष प्राप्ति के लिए मानव शव को जलाए जाते हैं लेकिन जब आप मंदिर से बाहर निकलेंगे तभी आपको लाशों के जलने की गंध महसूस होगी और जब तक आप मंदिर में होंगे आपको जरा सी गंध का अनुभव नही होगा और लोगो का मानना है की यह तो प्रभु की माया है।
10. इस जगन्नाथ मंदिर में विराजमान श्रीकृष्ण को जगन्नाथ कहते हैं। जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र(बलराम) और बहन सुभद्रा भी विराजमान हैं। तीनों देवों की ये मूर्तियां काष्ठ की बनाई हुई हैं। और यहां प्रत्येक 12 साल में एक बार नवीन कलेवर होता है। यानी कि इन मूर्तियों को नया बनाया जाता हैं। लेकिन आकार और रूप वही रहता है। और यह भी कहा जाता है कि उन मूर्तियों की पूजा नहीं होती, केवल दर्शनार्थियों के लिए रखी गई हैं।
11. आषाढ़ माह में पूरी में विश्व की सबसे बड़ी रथयात्रा होती है जहा जगन्नाथ(श्री कृष्ण) भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी रानी गुंडिचा के घर जाते हैं। यह रथयात्रा 5 किलोमीटर में फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र पूरी में ही होती है।
12. रानी गुंडिचा भगवान जगन्नाथ(श्री कृष्ण) के परम भक्त राजा इंद्रदयुम्न की पत्नी थी और इसी वजह से रानी को भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता है। अपनी मौसी रानी गुडिचा के घर भगवान जगन्नाथ कुल 8 दिन तक रहते हैं। और आषाढ़ शुक्ल दशमी को वापसी की यात्रा होती है।
13. भगवान जगन्नाथ(श्री कृष्ण) के रथ का नाम नंदीघोष है। और देवी सुभद्रा के रथ का नाम दर्पदलन है तथा उनके भाई बलभद्र(बलराम) का रथ तल ध्वज है। और पूरी शहर के गजपति(श्री गणेश) महाराज सोने की झाड़ू बुहारते हैं जिसे छेरा पैररन कहा जाता हैं।
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